विद्वान-पुरूषों के गुण व पहचान

साधु माँ : हे ब्रह्म पिता परमात्मा ! विद्वान-पुरुषों में क्या-क्या गुण होते हैं जो संसार के साधारण-पुरुषों में नहीं पाये जाते हैं ?

ब्रह्म उवाच : हे साधु ! विद्वान-पुरुषों के गुण बहुत की आश्चर्यजनक होते हैं। विद्वानों का सबसे पहला गुण ; संसार के मनुष्यों को अँधकार से प्रकाश की ओर ले जाना  होता है। वेद-ग्रन्थों के ज्ञान को विद्वान पुरुषों ने ही जानकर संसार के मनुष्यों को बताया है कि यह जो वेद-वाणी है यह साक्षात उस ब्रह्म की वाणी है जिसको ना तो सांसर में कोई जान ही पाता है और ना कोई उस शक्ति को अपने ही शरीर में रहते हुये देख ही पाता है। विद्वान-पुरुषों के सहारे ही हे साधु ! संसार में मुझ ब्रह्म के वेद-ग्रन्थ जीवित रहते हैं। विद्वानों ने ही संसार में सत्य को उजागर किया है क्योंकि विद्वान पुरुषों को सत्य का ज्ञान होता है; कि सत्य को कभी दबाया और संसार से हटाया नहीं जा सकता है। विद्वान-पुरुष मुझ ब्रह्म के वेद ग्रन्थों के साथ कभी खिलवाड ़नहीं कर सकते हैं। जैसे कि आज कलियुग में मुझ ब्रह्म के वचनों का उल्लंघन, अज्ञानियों ने किया है। आज कलियुग में अज्ञानी-जन सत्य को छिपाना और असत्य को प्रकट करना चाहते हैं। अज्ञानी मनुष्य संसार के लिये अज्ञानता का ज्ञान लिखकर मुझ ब्रह्म से भी ऊँचा और आगे जाना चाहते हैं। हे साधु ! मैं परमात्मा संसार में ऐसा कभी भी नहीं होने दूँगा।

विद्वान नर बिरला होई। ब्रह्म ग्यान जानै जो कोई।।

रक्षा करें ग्यान की भारी। विद्वान नर या कोई नारी।।

- ज्ञान का अनुशरण और प्रचार-प्रसार करने वाला कोई विरला ही शौभाग्यशाली मनुष्य होता है।

विद्वान की जात ना, सब जातन की सार।

जाके मन में ग्यान है, विद्वान संसार।।

- हे मानव श्रेष्ठ ! विद्वान-जनों की कोई जातपात नही होती बल्कि  विद्वान की पहचान उसके तत्वज्ञान से होती है।




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